राजस्थान की झीलें
-- राजस्थान में दो प्रकार की झीलें पाई जाती :-
1. खारे पानी की झीलें।
2. मीठे पानी की झीलें।
- खारे पानी की झीलें नमक निर्माण के कार्य में काम आती है
- जबकि मीठे पानी की झीलें सिंचाई व पेयजल के काम आती है ।
1. खारे पानी की झीलें :-
राज्य की अधिकांश खारे पानी की झीलें पश्चिमी मरूस्थलीय भाग में पाई जाती है जिन्हें टेथिस सागर का
अवशेष माना जाता है।
> प्रमुख झीलें
1. साँभर झील :- ( जयपुर - नागोर - अजमेर )
वासुदेव चोहान को इस झील का प्रवर्तक माना जाता है।
साँभर झील भारत की सबसे बङी खारे पानी की नमक निर्माण झील है जो सारे भारत का 8.7% नमक
उत्पादन करती है।( भारत की सबसे खारे पानी की झील चिल्का झील (उङीसा) है )
साँभर झील 3-12 किलोमीटर चोङाई व 32 किलोमीटर लम्बाई में फेली हुई है जिसका कुल अपवाह क्षेत्र
500 वर्ग किलोमीटर है।
साँभर झील की समुद्रतल से ओस्त ऊचाई 367 किलोमीटर है तथा राज्य का निम्नतम स्थान माना जाता
है।
साँभर झील में नमक निर्माण कार्य केंद्र सरकार की दखरेख साँभर साल्ट लिमिटेड द्वारा किया जाता
है।
साँभर झील में नमक प्राप्त करने का कार्य क्यारियां विधि से किया जाता है ।
साँभर झील भील चोहानों की प्रारंभिक राजधानी सम्राट अकबर की विवाह स्थली व संत दादू दपाल की पुनः
भूमि होने के कारण ऐतिहासिक मानी जाती है।
2. पंचभद्रा झील - बालोतरा ( बाङमेर)
राज्य में इस झील का नमक सर्वोत्तम किस्म का माना जाता है जिसमें 98% सोडियम क्लोराइड कि मात्रा
पाई जाती है।
पंचभद्रा झील में नमक निर्माण का कार्य खारवाल जाति द्वारा मोरली झाड़ी की सहायता से किया जाता है।
3. डीडवाना झील ( नागौर )
इस झील के नमक में सोडियम क्लोराइड की जगह सोडियम सलफेट पाया जाता है।
इसलिए यह अखाद्यय नमक है तथा उधोगिक नमक माना जाता है।
राज्य सरकार द्वारा इस झील पर सोडियम सलफेट बनाने का कारखाना स्थापित किया गया है |
अन्य प्रमुख झीलें
- 1. लूणकरणसर झील - बीकानेर।
2. रेवास व कछोर झील - सीकर।
3. डेगाना व कुचामन झील - नगौर।
4. फलोदी झील - जोधपुर।
5. पोकरण झील - जेसलमेर।
6. ताल छापर झील - चूरू।
Note- राजस्थान कि सबसे बङी नमक मंडी नांवा ( नागौर ) में है |
प्रदेश में मिठे पानी की झीलें
1. - राजसमंद झील - कांकरोली ( राजसमंद )
- निर्माण 1662 में महाराणा राजसिंह ने करवाया ।
- राज्य सरकार ने इस झील को धार्मिक द्रष्टि से पुष्कर की तरह पवित्र घोषित किया है।
- नों चोंकी पाल - यह इस झील का उत्तरी भाग है यहाँ संगमरमर के 25 शिला लेखों पर मेवाड़ रियासत
की इतिहास संस्कृत भाषा में लिखा गया है ।
- रणछोड़ दास भट्ट द्वारा लिखित इस राजप्रशस्ति को विशव की सबसे बङी प्रशस्ति माना जाता है।
- हल्दी घाटी युद्ध का वर्णन इसी प्रशस्ति मे लिखा गया है।
2.- जयसमंद झील -(उदयपुर )
- निर्माण 1685-91 में महाराजा जयसिंह ने करवाया।
- यह झील भारत की दूसरी सबसे बङी मीठे पानी क क्रत्रिम झील है जिसे स्थानीय भाषा में ढेबर झील
कहते है।
- इस झील पर कुछ 7 टापू बनें है जिसमे सबसे बङे टापू को बाबा का भागङा व सबसे छोटे को प्यारी
कहा जाता है।
- इन टापुओं पर भील व मीणा जीती के लोग निवास करते है।
इस झील से सिंचाई के लिए दो नहरें निकाली गई है
1. श्याम पूरा नहर
3.- नक्की झील -( सिरोही )
यह झील समुद्र से 1200 मीटर ऊचाई पर स्थित है तथा इसे राजस्थान की सबसे ऊंची माना जाता है।
इस झील के बारे में माना जाता है की ईसका निर्माण देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदकर किया था।
टाँड-राँक व नन राँक नामक प्रसिद्ध चट्टाने ईसी झील के किनारे स्थित है।
नक्की झील को राज्य का सनसेट प्वाइंट ( डुबते सूर्य ) का आकार माना जाता है।
इस के किनारे राज्य के हाथी गुफा ,, चाचा गुफा ,, राम-झरोखा व रघुनाथ जी का मंन्दिर नामक
दर्शनीय स्थल स्थित है।
4.- आना सागर झील-(अजमेर)
- निर्माण करता अर्णोराज चोहान (1135-37)
- इस झील के बारे में माना जाता है कि इसका निर्माण खुन से रंगी हुई धरती को साफ करने के लिए
किया गया।
- जहांगीर ने इस झील पर दौलत का निर्माण करवाया ।जिसे वर्तमान में सुभाष ऊधान कहा जाता
है।
- शाहजहाँ ने इस झील पर संगमरमर के बारह दरवाजे का निर्माण करवाया जिन्हें बारहदरी कहा जाता
है।
5.- पिछोला झील (उदयपुर)
- इस झील का निर्माण 14वी शताब्दी में राणा लाखा के शासन काल में चिङिमार बंजारे द्वारा करवाया
गया।
- इस झील पर बने दो टापुओं पर जगमंदिर महल व जगत निवास महल बनें हुए है।
- जगमंदिर महल में निर्वासक काल के दोरान शाजहां को शरण दी गई थी तथा यही से उसे ताजमहल
बनाने कि प्ररेणा मिली।
- जगत निवास महल विशव के सुन्दरतम महलों में से एक है जिसका निर्माण राणा जगत सिंह ने
करवाया।
- नटनी का चबूतरा ईसी झील के किनारे स्थित है।
- पिछोला झील को वर्तमान में फतेसागर झील से जोङा गया है।
तथा जोङने वाली इस झील का नाम स्वरूपसागर है।
6.- फतेहसागर झील :-
इस झील का निर्माण ज्यसिह ने करवाया परंतु ईसका पुर्ण निर्माण महाराणा फतेह सिंह ने
करवाया ईसलिए ईसका नाम फतेहसागर पङा।
इस झील पर स्थित दो टापुओं पर सोर वेधशाला ओर दुसरे पर नेहरू पार्क है।
सहेलियों की बाङी ( संग्राम सिंह द्वितीय ) नाम सून्दर उदान इसी झील के किनारे स्थित है।