मारवाड़ के पंच पीर
1.रामदेव जी,
2.गोगा जी,
3.पाबु जी,
4.हरभू जी,
5.मेहा जी
1. बाबा रामदेव जी -
=> जन्म- उपडुकासमेर, शिव तहसील (बाड़मेर) में हुआ।
=> रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे।
=> पिता का नाम ; अजमल जी
=> माता का नाम ; मैणादे था।
=> इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं
=> नेजा सफेद या पांच रंगों का होता हैं
=> बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे।
=> राम देव जी की रचना " चैबीस बाणिया" कहलाती है।
=> रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह "पगल्ये" है।
=> इनके लोकगाथा गीत ब्यावले कहलाते हैं।
=> रामदेव जी का गीत सबसे लम्बा लोक गीत है।
=> इनके मेघवाल भक्त "रिखिया " कहलाते हैं
=> "बालनाथ" जी इनके गुरू थे।
प्रमुख स्थल- रामदेवरा (रूणिया), पोकरण तहसील (जैसलमेर)
=> बाबा रामदेव जी का जनम भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ।
=> राम देव जी का मेला भाद्र शुक्ल दूज से भाद्र शुक्ल एकादशी तक भरता है।
=> मेले का प्रमुख आकर्षण " तरहताली नृत्य" होता हैं।
=> मांगी बाई (उदयपुर) तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है।
=> तेरहताली नृत्य कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
=> रामदेव जी श्री कृष्ण के अवतार माने जाते है।
=> तेरहताली नृत्य व्यावसासिक श्रेणी का नृत्य है।
=> छोटा रामदेवरा गुजरात में है।
=> सुरताखेड़ा (चित्तोड़) व बिराठिया (अजमेर) में भी इनके मंदिर है।
=> इनके यात्री 'जातरू' कहलाते है।
=> रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
=> मुस्लिम इन्हे रामसापीर के नाम से पुकारते है।
=> इन्हे पीरों का पीर कहा जाता है।
=> जातिगत छुआछूत व भेदभाव को मिटाने के लिए रामदेव जी ने "जम्मा
जागरण " अभियान चलाया।
=> इनके घोडे़ का नाम लीला था।
=> रामदेव जी ने मेघवाल जाति की "डाली बाई" को अपनी बहन बनाया।
=> इनकी फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पथ के लोग करते है।
2. गोगा जी.
=> जन्म स्थान - ददरेवा (जेवरग्राम) राजगढ़ तहसील (चुरू)।
=> समाधि - गोगामेड़ी, नोहर तहसील (हनुमानगढ)
=> उपनाम - सांपों के देवता, जाहरपीर (यह नाम महमूद गजनवी ने दिया)
=> इनका वंश - चैहान वंश था।
=> गोगा जी ने महमूद गजनवी से युद्ध लडा।
=> प्रमुख स्थल:-श्शीर्ष मेडी ( ददेरवा),घुरमेडी - (गोगामेडी), नोहर मे।
=> गोगा मेंडी का निर्माण "फिरोज शाह तुगलक" ने करवाया।
=> वर्तमान स्वरूप (पुनः निर्माण) महाराजा गंगा सिंह नें कारवाया।
=> मेला भाद्र कृष्ण नवमी (गोगा नवमी) को भरता है।
=> इस मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय पशु मेला भी आयोजित होता है।
=> यह पशु मेला राज्य का सबसे लम्बी अवधि तक चलने वाला पशु मेला है।
=> हरियाणवी नस्ल का व्यापार होता है।
=> गोगा मेडी का आकार मकबरेनुमा है
=> गोगाजी की ओल्डी सांचैर (जालौर) में है।
=> इनके थान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होते है।
=> गोरखनाथ जी इनके गुरू थे।
=> घोडे़ का रंग नीला है।
=> गोगाजी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों धर्मो में समान रूप से लोकप्रिय थे।
=> धुरमेडी के मुख्य द्वार पर "बिस्मिल्लाह" अंकित है।
=> इनके लोकगाथा गीतों में डेरू नामक वाद्य यंत्र बजाया जाता है।
=> किसान खेत में बुआई करने से पहले गोगा जी के नाम से राखड़ी "हल" तथा "हाली" दोनों को बांधते है।
3. पाबु जी.
=> जन्म - 13 वी शताब्दी (1239 ई) में हुआ।
=> राठौड़ वंश में जोधपुर के फलोदी तहसील के कोलु ग्राम में हुआ।
=> विवाह - अमरकोट के सूरजमल सोडा की पुत्री फूलमदे से हुआ।
=> उपनाम - ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक देवता, राइका/रेबारी जाति के देवता
आदि।
=> राइका /रेबारी जाति का संबंध मुख्यतः सिरोही से है।
=> मारवाड़ क्षेत्र में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबुजी को है।
=> पाबु जी ने देवल चारणी की गायों को अपने बहनोई जिन्द राव खींचीं से छुडाया।
=> पाबु जी के लोकगीत पवाडे़ कहलाते है। - माठ वाद्य का उपयोग होता है।
=> पाबु जी की फड़ राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ है।
=> पाबु जी की जीवनी "पाबु प्रकाश" आंशिया मोड़ जी द्वारा रचित है।
=> इनकी घोडी का नाम केसर कालमी है।
=> पाबु जी का गेला चैत्र अमावस्या को कोलू ग्राम में भरता है।
=> पाबु जी की फड़ के वाचन के समय "रावणहत्था" नामक वाद्य यंत्र उपयोग में लिया जाता है।
=> प्रतीक चिन्ह - हाथ में भाला लिए हुए अश्वारोही।
4. हरभू जी.
=> जन्म स्थान- भूण्डोल/भूण्डेल (नागौर) में हुआ।
=> सांखला राजपूत परिवार से जुडे हुए थे।
=> रामदेवी जी के मौसेरे भाई थे।
=> सांखला राजपूतों के अराध्य देव है।
=> इनका मंदिर बेंगटी ग्राम (जोधपुर) में है।
=> मण्डोर को मुक्त कराने के लिए हरभू जी ने राव जोधा को कटार भेट की थी।
=> मण्डोर को मुक्त कराने के अभियान में सफल होने पर राव जी ने वेंगटी ग्राम हरभू जी को अर्पण किया था।
=> हरभू जी शकुन शास्त्र के ज्ञाता थे।
=> हरभू जी के मंदिर में इनकी गाड़ी की पूजा होती है।
5.गुरू - बालीनाथ जी.
=> मेहा जी मांगलियों के ईष्ट देव थे।
=> मुख्य मंदिर बापणी गांव (जोधपुर) में स्थित है।
=> घोडे़ का नाम - किरड़ काबरा था।
=> मेला -भाद्र कृष्ण अष्टमी को।
6. वीर तेजा जी.
=> जाट वंश में जन्म हुआ।
=> जन्म तिथि- माघ शुक्ला चतुर्दशी वि.स. 1130 को।
=> जन्म स्थान खरनाल (नागौर) है।
=> माता -राजकुंवर,
=> पिता - ताहड़ जी
=> तेजाजी का विवाह पनेर नरेश रामचन्द की पुत्री पैमल से हुआ था
कार्यक्षेत्र हाडौती क्षेत्र रहा है।
=> तेजाजी अजमेर क्षेत्र में लोकप्रिय है।
=> इन्हें जाटों का अराध्य देव कहते है।
=> उपनाम - कृषि कार्यो का उपकारक देवता, गायों का मुक्ति दाता, काला व बाला का देवता।
=> अजमेर में इनको धोलियावीर के नाम से जानते है।
=> इनके पुजारी घोडला कहलाते है।
=> इनकी घोडी का नाम लीलण (सिंणगारी) था।
=> परबत सर (नागौर) में " भाद्र शुक्ल दशमी " को इनका मेला आयोजित होता है।
=> भाद्र शुक्ल दशमी को तेजा दशमी भी कहते है।
=> सैदरिया- यहां तेजाजी का नाग देवता ने डसा था।
=> सुरसरा (किशनगढ़ अजमेर) यहां तेजाजी वीर गति को प्राप्त हुए।
=> तेजाजी के मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय वीरतेजाजी पशु मेला आयोजित होता है।
=> इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय प्राप्त होती है।
=> लाछां गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुडाने के लिए संघर्ष किया व वीर गति को प्राप्त हुए।
=> प्रतीक चिन्ह - हाथ में तलवार लिए अश्वारोही।
=> अन्य - पुमुख स्थल - ब्यावर, सैन्दरिया, भावन्ता, सुरसरा।
7. देवनारायण जी.
=> जन्म - आशीन्द (भीलवाडा) में हुआ।
=> पिताजी संवाई भोज एवं माता सेडू खटाणी।
=> राजा जयसिंह(मध्यप्रदेष के धार के शासक) की पुत्री पीपलदे से इनका विवाह हुआ।
=> गुर्जर जाति के आराध्य देव है।
=> गुर्जर जाति का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन है।
=> देवनारायण जी विष्णु का अवतार माने जाते है।
=> मुख्य मेंला भाद्र शुक्ल सप्तमी को भरता हैं।
=> देवनारायण जी के घोडे़ का नाम लीलागर था।
=> प्रमुख स्थल-
1. सवाई भोज मंदिर (आशीन्द ) भीलवाडा में है।
2. देव धाम जोधपुरिया (टोंक) में है।
=> उपनाम - चमत्कारी लोक पुरूष
=> जन्म का नाम उदयसिंह थान
=> देवधाम जोधपुरिया (टोंक) - इस स्थान पर सर्वप्रथम देवनारायणजी ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था।
=> इनकी फंड राज्य की सबसे लम्बी फंड़ है।
=> फंड़ वाचन के समय "जन्तर" नामक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है।
=> इनकी फड़ पर भारत सरकार के द्वारा 5 रु का टिकट भी जारी किया जा चुका हैें।
=> देवनारायण जी के मंदिरों में एक ईंट की पूजा होती है।
8. देवबाबा जी.
=> जन्म - नगला जहाज (भरतपुर) में हुआ।
=> इनका मेला भाद्र शुक्ल पंचमी को भरता है।
=> ये गुर्जर जाति के आराध्य देव है।
=> उपनाम -ग्वालों का पालन हारा।
9. वीर कल्ला जी.
=> जन्म - मेडता (नागौर) में हुआ।
=> उपनाम - शेषनाग का अवतार, चार भुजाओं वाले देवता
=> गुरू - योगी भैरवनाथ।
=> 1567 ई. में चित्तौडगढ़ के तृतीय साके के दौरान अकबर से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
=> मीरा बाई इनकी बुआ थी।
=> इन्हें योगाभ्यास और जड़ी-बूटियों का ज्ञान था।
=> दक्षिण राजस्थान में वीर कल्ला जी की ज्यादा मान्यता है।
10. मल्ली नाथ जी.
=> जन्म - तिलवाडा (बाडमेर) में हुआ।
=> जाणीदे - रावल सलखा (माता -पिता)
=> इनका मेला चेत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक लूणी नदी के किनारे तिलवाड़ा (बाड़मेर) नामक स्थान पर भरता हैं।
=> यह मेला मल्लीनाथजी के राज्याभिषेक के अवसर से वर्तमान तक आयोजित हो रहा हैं।
=> इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है।
=> थारपारकर व कांकरेज नस्ल का व्यापार होता है।
=> बाड़मेर का गुड़ामलानी का नामकरण मल्लीनाथजी के नाम पर ही हुआ हैं।
11. डूंगजी- जवाहर जी.
=> शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता।
=> ये अमीरों व अंग्रेजों से धन लूट कर गरीब जनता में बांट देते थे।
12. बिग्गा जी/वीर बग्गा जी.
=> जाखड़ समाज के कुल देवता माने जाते है।
=> इनका जन्म जांगल प्रदेश (बीकानेर) के जाट परिवार में हुआ।
=> मुस्लिम लुटेरों से गाय छुडाते समय वीरगति को प्राप्त हुए।
=> मंदिर-बीकानेर में है। सुलतानी -रावमोहन (माता-पिता)
13. पंचवीर जी.
=> शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है।
=> शेखावत समाज के कुल देवता है।
=> अजीत गढ़ (सीकर) में मंदिर है।
14. पनराज जी.
=> जन्म स्थान - नगाा ग्राम (जैसलमेर) में हुआ।
=> मंदिर पनराजसर (जैसलमेर) में है।
=> पनराज जी जैसलमेर क्षेत्र के गौरक्षक देवता है।
=> काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गाय छुडाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
15. मामादेव जी.
=> उपनाम- बरसात के देवता।
=> ये पश्चिमी राजस्थान के लोकप्रिय देवता है।
=> मामदेव जी को खुश करने के लिए भैंसे की बली दी जाती है।
=> इनके मंदिरों में मूर्ति के स्थान पर लकड़ी के बनें कलात्मक तौरण होते है।
16. इलोजी जी.
=> उपनाम - छेडछाड़ वाले देवता।
17. तल्लीनाथ जी.
=> वास्तविक नाम - गागदेव राठौड़ ।
=> गुरू - जलन्धरनाथ (जालन्धर नाथ न ही गागदेव को तल्लीनाथ का नाम दिया था।)
=> पंचमुखी पहाड़ - पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास इस पहाड़ पर घुडसवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति स्थापित है।
=> तल्लीनाथ जी ने शेरगढ (जोधपुर) ढिकान पर शासन किया।
18. भोमिया जी.
=> भूमि रक्षक देवता जो गांव-गांव में पूजे जाते है।
19. केसर कुवंर जी.
=> गोगा जी के पुत्र कुवंर जी के थान पर सफेद ध्वजा फहराते है।
20. वीर फता जी.
=> जन्म सांथू गांव (जालौर) में।
=> सांथू गांव में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी नवमी को मेला लगता है।
=> लांछाा/लाछन गुजरी की गायो को मेर के मीणाओं से छुड़वाया - तेजा जी ने
=> देवल चारणी की गायों को जिन्दराव खींची से छुडवाया -पाबु जी ने
=> गौरक्षार्थ हेतू महमूद गजनवी से युद्ध किया - गोगा जी ने
=> मुस्लिम लुटेरों से गायों को छुडवाया - बीग्गा जी/बग्गा जी ने
=> काठौडी ग्राम के ब्राहमणों की गायों को छुडवाया - पनराज जी ने।
3. पाबु जी.
=> जन्म - 13 वी शताब्दी (1239 ई) में हुआ।
=> राठौड़ वंश में जोधपुर के फलोदी तहसील के कोलु ग्राम में हुआ।
=> विवाह - अमरकोट के सूरजमल सोडा की पुत्री फूलमदे से हुआ।
=> उपनाम - ऊंटों के देवता, प्लेग रक्षक देवता, राइका/रेबारी जाति के देवता
आदि।
=> राइका /रेबारी जाति का संबंध मुख्यतः सिरोही से है।
=> मारवाड़ क्षेत्र में सर्वप्रथम ऊंट लाने का श्रेय पाबुजी को है।
=> पाबु जी ने देवल चारणी की गायों को अपने बहनोई जिन्द राव खींचीं से छुडाया।
=> पाबु जी के लोकगीत पवाडे़ कहलाते है। - माठ वाद्य का उपयोग होता है।
=> पाबु जी की फड़ राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ है।
=> पाबु जी की जीवनी "पाबु प्रकाश" आंशिया मोड़ जी द्वारा रचित है।
=> इनकी घोडी का नाम केसर कालमी है।
=> पाबु जी का गेला चैत्र अमावस्या को कोलू ग्राम में भरता है।
=> पाबु जी की फड़ के वाचन के समय "रावणहत्था" नामक वाद्य यंत्र उपयोग में लिया जाता है।
=> प्रतीक चिन्ह - हाथ में भाला लिए हुए अश्वारोही।
4. हरभू जी.
=> जन्म स्थान- भूण्डोल/भूण्डेल (नागौर) में हुआ।
=> सांखला राजपूत परिवार से जुडे हुए थे।
=> रामदेवी जी के मौसेरे भाई थे।
=> सांखला राजपूतों के अराध्य देव है।
=> इनका मंदिर बेंगटी ग्राम (जोधपुर) में है।
=> मण्डोर को मुक्त कराने के लिए हरभू जी ने राव जोधा को कटार भेट की थी।
=> मण्डोर को मुक्त कराने के अभियान में सफल होने पर राव जी ने वेंगटी ग्राम हरभू जी को अर्पण किया था।
=> हरभू जी शकुन शास्त्र के ज्ञाता थे।
=> हरभू जी के मंदिर में इनकी गाड़ी की पूजा होती है।
5.गुरू - बालीनाथ जी.
=> मेहा जी मांगलियों के ईष्ट देव थे।
=> मुख्य मंदिर बापणी गांव (जोधपुर) में स्थित है।
=> घोडे़ का नाम - किरड़ काबरा था।
=> मेला -भाद्र कृष्ण अष्टमी को।
6. वीर तेजा जी.
=> जाट वंश में जन्म हुआ।
=> जन्म तिथि- माघ शुक्ला चतुर्दशी वि.स. 1130 को।
=> जन्म स्थान खरनाल (नागौर) है।
=> माता -राजकुंवर,
=> पिता - ताहड़ जी
=> तेजाजी का विवाह पनेर नरेश रामचन्द की पुत्री पैमल से हुआ था
कार्यक्षेत्र हाडौती क्षेत्र रहा है।
=> तेजाजी अजमेर क्षेत्र में लोकप्रिय है।
=> इन्हें जाटों का अराध्य देव कहते है।
=> उपनाम - कृषि कार्यो का उपकारक देवता, गायों का मुक्ति दाता, काला व बाला का देवता।
=> अजमेर में इनको धोलियावीर के नाम से जानते है।
=> इनके पुजारी घोडला कहलाते है।
=> इनकी घोडी का नाम लीलण (सिंणगारी) था।
=> परबत सर (नागौर) में " भाद्र शुक्ल दशमी " को इनका मेला आयोजित होता है।
=> भाद्र शुक्ल दशमी को तेजा दशमी भी कहते है।
=> सैदरिया- यहां तेजाजी का नाग देवता ने डसा था।
=> सुरसरा (किशनगढ़ अजमेर) यहां तेजाजी वीर गति को प्राप्त हुए।
=> तेजाजी के मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय वीरतेजाजी पशु मेला आयोजित होता है।
=> इस मेले से राज्य सरकार को सर्वाधिक आय प्राप्त होती है।
=> लाछां गुजरी की गायों को मेर के मीणाओं से छुडाने के लिए संघर्ष किया व वीर गति को प्राप्त हुए।
=> प्रतीक चिन्ह - हाथ में तलवार लिए अश्वारोही।
=> अन्य - पुमुख स्थल - ब्यावर, सैन्दरिया, भावन्ता, सुरसरा।
7. देवनारायण जी.
=> जन्म - आशीन्द (भीलवाडा) में हुआ।
=> पिताजी संवाई भोज एवं माता सेडू खटाणी।
=> राजा जयसिंह(मध्यप्रदेष के धार के शासक) की पुत्री पीपलदे से इनका विवाह हुआ।
=> गुर्जर जाति के आराध्य देव है।
=> गुर्जर जाति का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन है।
=> देवनारायण जी विष्णु का अवतार माने जाते है।
=> मुख्य मेंला भाद्र शुक्ल सप्तमी को भरता हैं।
=> देवनारायण जी के घोडे़ का नाम लीलागर था।
=> प्रमुख स्थल-
1. सवाई भोज मंदिर (आशीन्द ) भीलवाडा में है।
2. देव धाम जोधपुरिया (टोंक) में है।
=> उपनाम - चमत्कारी लोक पुरूष
=> जन्म का नाम उदयसिंह थान
=> देवधाम जोधपुरिया (टोंक) - इस स्थान पर सर्वप्रथम देवनारायणजी ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था।
=> इनकी फंड राज्य की सबसे लम्बी फंड़ है।
=> फंड़ वाचन के समय "जन्तर" नामक वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है।
=> इनकी फड़ पर भारत सरकार के द्वारा 5 रु का टिकट भी जारी किया जा चुका हैें।
=> देवनारायण जी के मंदिरों में एक ईंट की पूजा होती है।
8. देवबाबा जी.
=> जन्म - नगला जहाज (भरतपुर) में हुआ।
=> इनका मेला भाद्र शुक्ल पंचमी को भरता है।
=> ये गुर्जर जाति के आराध्य देव है।
=> उपनाम -ग्वालों का पालन हारा।
9. वीर कल्ला जी.
=> जन्म - मेडता (नागौर) में हुआ।
=> उपनाम - शेषनाग का अवतार, चार भुजाओं वाले देवता
=> गुरू - योगी भैरवनाथ।
=> 1567 ई. में चित्तौडगढ़ के तृतीय साके के दौरान अकबर से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
=> मीरा बाई इनकी बुआ थी।
=> इन्हें योगाभ्यास और जड़ी-बूटियों का ज्ञान था।
=> दक्षिण राजस्थान में वीर कल्ला जी की ज्यादा मान्यता है।
10. मल्ली नाथ जी.
=> जन्म - तिलवाडा (बाडमेर) में हुआ।
=> जाणीदे - रावल सलखा (माता -पिता)
=> इनका मेला चेत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक लूणी नदी के किनारे तिलवाड़ा (बाड़मेर) नामक स्थान पर भरता हैं।
=> यह मेला मल्लीनाथजी के राज्याभिषेक के अवसर से वर्तमान तक आयोजित हो रहा हैं।
=> इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है।
=> थारपारकर व कांकरेज नस्ल का व्यापार होता है।
=> बाड़मेर का गुड़ामलानी का नामकरण मल्लीनाथजी के नाम पर ही हुआ हैं।
11. डूंगजी- जवाहर जी.
=> शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता।
=> ये अमीरों व अंग्रेजों से धन लूट कर गरीब जनता में बांट देते थे।
12. बिग्गा जी/वीर बग्गा जी.
=> जाखड़ समाज के कुल देवता माने जाते है।
=> इनका जन्म जांगल प्रदेश (बीकानेर) के जाट परिवार में हुआ।
=> मुस्लिम लुटेरों से गाय छुडाते समय वीरगति को प्राप्त हुए।
=> मंदिर-बीकानेर में है। सुलतानी -रावमोहन (माता-पिता)
13. पंचवीर जी.
=> शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है।
=> शेखावत समाज के कुल देवता है।
=> अजीत गढ़ (सीकर) में मंदिर है।
14. पनराज जी.
=> जन्म स्थान - नगाा ग्राम (जैसलमेर) में हुआ।
=> मंदिर पनराजसर (जैसलमेर) में है।
=> पनराज जी जैसलमेर क्षेत्र के गौरक्षक देवता है।
=> काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गाय छुडाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
15. मामादेव जी.
=> उपनाम- बरसात के देवता।
=> ये पश्चिमी राजस्थान के लोकप्रिय देवता है।
=> मामदेव जी को खुश करने के लिए भैंसे की बली दी जाती है।
=> इनके मंदिरों में मूर्ति के स्थान पर लकड़ी के बनें कलात्मक तौरण होते है।
16. इलोजी जी.
=> उपनाम - छेडछाड़ वाले देवता।
=> जैसलमेर पश्चिमी क्षेत्र में लोकप्रिय
=> इनका मंदिर इलोजी (जैसलमेर ) में है।17. तल्लीनाथ जी.
=> वास्तविक नाम - गागदेव राठौड़ ।
=> गुरू - जलन्धरनाथ (जालन्धर नाथ न ही गागदेव को तल्लीनाथ का नाम दिया था।)
=> पंचमुखी पहाड़ - पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास इस पहाड़ पर घुडसवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति स्थापित है।
=> तल्लीनाथ जी ने शेरगढ (जोधपुर) ढिकान पर शासन किया।
18. भोमिया जी.
=> भूमि रक्षक देवता जो गांव-गांव में पूजे जाते है।
19. केसर कुवंर जी.
=> गोगा जी के पुत्र कुवंर जी के थान पर सफेद ध्वजा फहराते है।
20. वीर फता जी.
=> जन्म सांथू गांव (जालौर) में।
=> सांथू गांव में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी नवमी को मेला लगता है।
=> लांछाा/लाछन गुजरी की गायो को मेर के मीणाओं से छुड़वाया - तेजा जी ने
=> देवल चारणी की गायों को जिन्दराव खींची से छुडवाया -पाबु जी ने
=> गौरक्षार्थ हेतू महमूद गजनवी से युद्ध किया - गोगा जी ने
=> मुस्लिम लुटेरों से गायों को छुडवाया - बीग्गा जी/बग्गा जी ने
=> काठौडी ग्राम के ब्राहमणों की गायों को छुडवाया - पनराज जी ने।